Diya Jethwani

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -04-Jun-2023.... Miss you Maa...

कुछ समय पहले मैं जिंदगी के सबसे मुश्किल दौर से गुजरी..। मेरी बेटी ओर मेरे पतिदेव का एक्सीडेंट हो गया था...। दोनों को घुटने की चोट आई थीं..। एक को दायें और दूसरे को बायें घुटने में..। दोनों को चोट भी एक जैसी ही थीं..। घुटने के लिगामेंट डेमेज हो गए थे...। पतिदेव का तो ओपरेशन करवाया...। लेकिन बेटी की उम्र अभी छोटी हैं तो सभी ने ओपरेशन ना करवाने का बोला...। इसलिए उसकी फिजियोथेरेपी शुरू करवाई...। इस बात को लगभग दो महीने होने को आए... अभी भी दोनों बिल्कुल ठीक तो नहीं हैं..। दोनों की थैरेपी अभी भी चल रहीं हैं..। 
कहते हैं बुरा वक्त हमें बहुत कुछ सीखा कर जाता हैं...। लेकिन मेरे लिए ऐसा कुछ नहीं हुआ जो अलग हो...। भरा पुरा परिवार हैं मेरा.... सास ससुर, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, ननद ननदोई .... देखा जाए तो ऐसा कोई रिश्ता नहीं हैं जो मुझे ना मिला हो...। ससुराल हो या मायका... हर रिश्ता हैं...। 
उससे भी बड़ा सच तो ये हैं की सिर्फ रिश्ता हैं.... बुरे वक्त में इनमें से एक भी रिश्तेदार.... एक भी रिश्ता.... मेरे पास नहीं था...। ओर ये पहली बार नहीं था.... हर बार ऐसा होता आया हैं...। फर्क सिर्फ इतना हैं की इससे पहले बुरा वक्त मुझ पर ओर मेरे बच्चों पर आया था.... इस बार .... ओर शायद पहली बार मेरे पतिदेव पर आया था..। मुझे एक आस थीं की चलों मेरी ना सही....एक माँ अपने बेटे की या एक भाई अपने दूसरे भाई की या एक बहन अपने भाई का इस मुश्किल घड़ी में साथ देगी... । लेकिन इस बार भी सब ऐसे साइड हो गए.... जैसे हर बार होतें हैं...। मुझे थोड़ा अचरज़ हुआ....। लेकिन मुझे आदत भी थीं तो मैंने ज्यादा वक्त नही गंवाया ओर बिना किसी के साथ के अकेले दोनों का इलाज भी करवाया ओर आज तक भी अकेले थैरेपी के लिए हर रोज़ लेकर जाती हूँ...। 
कुछ दिन पहले ही मेरी ननद की तबीयत भी अचानक खराब हो गई..। उनका तुरत फुरत  में सभी ने ओपरेशन करवा दिया...। आज वहीं ननद ओपरेशन के बाद मेरे घर में अपने पूरे परिवार के साथ रहने आई हैं...। एक तरफ़ पतिदेव, दूसरी तरफ़ बेटी ओर तीसरी तरफ़ ननद का परिवार...। 
एक बार मन में ख्याल आया की मैं क्यूँ करुं इन सब का... मुझे वक्त पर कोई काम आया था क्या.... लेकिन अगले ही पल मुझे मेरी माँ की आवाज कानों में सुनाई दी... " तु अपनी अच्छाई कभी मत छोड़ना बेटा....निस्वार्थ भाव से जितना तुझसे हो सकें...जब तक हो सकें....सब की मदद ओर सेवा करना...।"

आज मेरी माँ मेरे पापा दोनों मेरे साथ नहीं हैं.... लेकिन उनकी कहीं हर बात आज भी मेरे कानों में गूंजती हैं...ओर मुझे कुछ भी गलत करने से हर बार रोकते हैं....। 

   15
8 Comments

kashish

17-Jun-2023 04:31 PM

very very nice story

Reply

वानी

12-Jun-2023 04:42 AM

Nice

Reply

Mohammed urooj khan

05-Jun-2023 01:28 PM

शानदार, हमें अपनी अच्छाई कभी नही छोड़नी चाहिए 👌👌👌भले ही सामने वाला कितना ही ज़ालिम क्यूँ न हो, वो उसका व्यक्तित्व है और अच्छाई हमारा

Reply